सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा । राम काज करिबे को आतुर ॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । भीम रुप धरि असुर संहा�
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा । राम काज करिबे को आतुर ॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । भीम रुप धरि असुर संहा�